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रूस के लूना से लिया सबक, धीमी चाल चलेगा चंद्रयान-3; सिग्नल में दिक्कत आई तो भी तैयार ISRO

नई दिल्ली

चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर "सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग" करने के लिए तैयार है। पूरे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर की निगाहें भारत के इस मिशन पर रहेंगी। अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ, तो भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का अब तक का सबसे बड़ा क्षण होगा। चार साल पहले चंद्रयान-2 लैंडर की क्रैश-लैंडिंग हुई थी। इसरो ने मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) "ऊर्जा" और "उत्साह" से गुलजार रहा है।

रूस के लूना से लिया सबक
भारत का चंद्रयान-3 ऐसे समय में चंद्रमा की सतह पर उतरने जा रहा है जब रूस का एक लैंडर दो दिन पहले ही इसी तरह के प्रयास में क्रैश हो गया था। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस ने रविवार को एक बयान में कहा कि अनियंत्रित कक्षा में प्रवेश करने के बाद लूना-25 अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि रूस के लूना-25 चंद्र मिशन की नाकामी का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में भेजे जाने के समय इसरो प्रमुख रहे के. सिवन ने सोमवार को कहा, ‘‘इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।’’ उनसे यह पूछा गया था कि रूसी मिशन की नाकामी के बाद क्या इसरो ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले अतिरिक्त दबाव में है। इसरो ने रविवार को कहा था कि चंद्रयान-3 मिशन का ‘लैंडर मॉड्यूल’ चंद्रमा की सतह पर बुधवार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर उतरने वाला है। चंद्रयान-3 मिशन पर इसका कोई असर पड़ने की संभावना से इनकार करते हुए नायर ने कहा कि भारत का यह मिशन पूरी तरह से आत्मनिर्भर है और हम ‘‘हम उन पर (रूस पर) निर्भर नहीं हैं।’’ अभी रूस के साथ भारत का अंतरिक्ष सहयोग मानव को अंतरिक्ष में भेजने के गगनयान अंतरिक्ष अभियान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने तक सीमित है।

धीमी चाल चलेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 फिलहाल 23 अगस्त 2023 की शाम को साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच चांद पर कदम रखेगा। इसरो के मुताबिक, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के निकट सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। पहले चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहा था। अब इसकी लैंडिंग बेहद कम स्पीड से की जाएगी। यदि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर उतरने और चार साल में इसरो की दूसरी कोशिश में एक रोबोटिक चंद्र रोवर को उतारने में सफल रहता है तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है। चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित एवं सॉफ्ट-लैंडिंग को प्रदर्शित करना, चंद्रमा पर विचरण करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना है।

क्या है चंद्रयान-3 का ताजा अपडेट
बीस अगस्त को अंतिम डीबूस्टिंग के बाद एलएम चंद्रमा की कक्षा में थोड़ा और नीचे पहुंच गया है। यह अब 25 गुणे 134 किलोमीटर की कक्षा में है। इसरो ने कहा है कि मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा। उसने कहा कि चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए प्रक्रिया बुधवार शाम लगभग 5:45 बजे शुरू होने की उम्मीद है। निर्धारित लैंडिंग से एक दिन पहले, इसरो ने मंगलवार को कहा, ‘‘मिशन तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है। प्रणालियों की नियमित जांच की जा रही है। सुचारू संचालन जारी है।’’ अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा कि यहां इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) स्थित मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) में उत्साह का माहौल है। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा, "23 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल के तकनीकी मानक ‘‘असामान्य’’ पाये जाने की स्थिति में इसकी ‘लैंडिंग’ 27 अगस्त तक के लिए टाली जा सकती है।’’

… तो साफ्ट लैंडिंग को टाल सकता है इसरो
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की चंद्रमा की सतह पर बहुप्रतीक्षित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की तैयारियों के बीच लैंडर मॉड्यूल के तकनीकी मानक ‘‘असामान्य’’ पाये जाने की स्थिति में इसकी ‘लैंडिंग’ 27 अगस्त तक के लिए टाली जा सकती है। इसरो अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई के अनुसार, वैज्ञानिकों का ध्यान चंद्रमा की सतह के ऊपर अंतरिक्ष यान की गति को कम करने पर होगा। उन्होंने अहमदाबाद में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘लैंडर 23 अगस्त को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और उस समय इसकी गति 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी। हमारा ध्यान उस गति को कम करने पर होगा क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल की भी इसमें भूमिका होगी।’’

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